Saturday, April 7, 2018

मुझे शिकायत है उसके दर्द से

मुझे शिकायत है उसके दर्द से
उसे शिकवा है मेरे खालीपन से।
वो अल्हड़ सी लड़की अब गुम गुम सी रहती है।
वो बेपरवाह सा लड़का अब चुप चुप रहता है।
चाँद आजकल दिखता ही नहीं पूरा,
रात भी तो तन्हा तन्हा सी रहती है।

Wednesday, May 4, 2016

कही तो कोई आसमां दिखाई दे...!

दम घुटता है अब इन चार दीवारों में..
कही तो कोई आसमां दिखाई दे...!!

दिखाई दे सूरज या रौशनी की कोई किरण कही मुझको
कही तो अब कोई उजाला दिखाई दे.... !!

दिखाई दे कोई तितली ही इठलाती हुई कही..
बैरंग सी इस दुनिया में कही तो कोई रंग दिखाई दे...!!

काश मुझको कोई परिंदा ही दिखाई दे...
मेरी मंज़िल का मुझे कोई रास्ता ही दिखाई दे..!!

-Shez

ग़म का समंदर


ना मिली जमीं ना आसमां मिला मुझको..
मिला है तो ये ग़म का समंदर मिला मुझको !!

देती है दिलासे और थपकियाँ कुछ आवाजें..
मग़र खा के तरस उनकी निगाहें देखती एकटक मुझको !!

ना दर्द समझता है कोई, ना ही बना है कोई मरहम..
मेरा दर्द बढ़ाता है हर कोई, अपना दर्द दिखा के मुझको !!

इस वक्त जब नज़दीक हर अपने को होना था मेरे..
नही है इस जहां में कोई मेरा कहता है यही शख़्स मुझको !!

-Shez