प्रतिक्रियाओ की अनुभूति पूछती है
कौन हूँ मै ....
जलमग्न पृथ्वी पर एकलौता मनु हूँ मै ..
.
अंत से अनंत को खोजता शून्य हूँ मै ..
.
मानसिक क्रीडाओ सा अनभिग्य खेल हूँ मै
.
थल से नभ का जोग हूँ मै
.
प्राथनाओं का प्रसाद या प्रासादों का विषाद हु मै
.
हवाओं में घुलती सुगंध हूँ मै
.
प्रकृति से विभोर मन्त्र मुग्ध हूँ मै
.
चिन्ताओ की चिता पर जलता अंगार हूँ मै
.
अथाह शब्दों में जलमग्न मीन हूँ मै ...
.
तिन लोक से उपर ब्रह्म में लीन हु मै ..!!
-Shez
No comments:
Post a Comment