दम घुटता है अब इन चार दीवारों में..
कही तो कोई आसमां दिखाई दे...!!
दिखाई दे सूरज या रौशनी की कोई किरण कही मुझको
कही तो अब कोई उजाला दिखाई दे.... !!
दिखाई दे कोई तितली ही इठलाती हुई कही..
बैरंग सी इस दुनिया में कही तो कोई रंग दिखाई दे...!!
काश मुझको कोई परिंदा ही दिखाई दे...
मेरी मंज़िल का मुझे कोई रास्ता ही दिखाई दे..!!
-Shez
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