क्यूँ लिखती हूँ..?
ये जो सवाल हैं....जिसका जवाब दे उससे पहले एक सवाल हैं...?
सवाल यही की हम क्यूँ खाते है...क्यूँ पीते हैं...??
अब कैसा सवाल हैं...?
जिसका उत्तर सभी जानते हैं....की ये सब हम जीने के लिए करते हैं...||
तो बस मैं भी लिखती हूँ जीने के लिए....सकूँ से जीने के लिए..!!
ज़हन में कभी-कभी कुछ ऐसा रच-बस जाता हैं...
या कहूँ की मेरे मन में जब कुछ ऐसा बैठ जाता है...!!
जो मुझे सकूँ से जीने नहीं देता....हा बस उसे ही कलम की नौंक से उन कागज के कोरे पन्नें पर उतार देती हूँ...!!
जो मेरे कुछ कहने से मुझ पर ना कभी नाराजगी जताते है.....और ना ही कभी मुझसे शिकायत करते है...||
" दिल के हर अहसास को अल्फ़ाजों मे बयां हम करते है...
ये जो कागज का एक टुकड़ा है...
अपनी कलम से जिस पर स्याही से
हर जज़्बात को बयां हम करते है...॥"
-Shez
No comments:
Post a Comment