Wednesday, May 4, 2016

कुछ इस तरह लिखती हूँ....


अश्कों की स्याही से...
खुशियों के गीत अक्सर लिखती हूँ..!! 
लिखती हूँ उस मायूस कलम से...
हौसलों की कविताएं हज़ार..!!
धुंधली उन आँखों से देख..
शहर के सफ़र वो सुहाने लिखती हूँ..!!
उस खोये हुए मन से अपने..
रास्ते उस मंज़िल को पाने के लिखती हूँ..!! 

-Shez

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