Wednesday, May 4, 2016

मेरा संसार.....


यह संसार मोह है माया है...नश्वर है..!!
संसार की हर वस्तु नाशवान होती है,
पर यह भी मै केसे नकार सकती हूँ कि ज्ञान की प्राप्ति भी यही होती...
सृष्टी का रचियता भी यहा आता है..
इसी रंगमंच पर इन्ही कलाकारों के बीच अपना स्वरुप निखारने.
कभी मर्यादा रखने कभी धर्म की स्थापना करने 
यह संसार सुंदर है मोहक है आनन्द देता है..|| 
यहां का पत्ता-पत्ता डाली-डाली एक आनन्द की व्याख्या करता है..
नन्ही चिड़िया सी चंचलता...पहाडो सी अडिगता का ज्ञान यही मिलता है..
मनुष्यों का प्रेम जानवरों की सरलता.. 
पंछियों की कलरव..सरिताओ का कलकल.. 
यह मधुर गीत यही तो बुनता है...
गीता का ज्ञान पंचम वेद पुराण ...
राग भेरावी का सार यही तो मिलता है..
यहा का जल भी जीवन है...और मिट्टी से  हमारा अस्तित्व है।
हरियाली से सजे मैदान ..और इंद्रधनुष से  सजा आसमान भी यही है..!!
इसी संसार के कण-कण में परमात्मा 
और जहा खुद इश्वर निवास करता है 
वो संसार मिथ्या केसे हो सकता है..!!

-Shez 

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